संस्कृति एवं संभ्यता

रवांई क्षेत्र की विरासत है डांडा देवराणा मेला

कुलदीप शाह

उत्तरकाशी जिले के रंवाई क्षेत्र में आषाढ़ माह में होने वाले डांडा देवराणा ऐतिहासिक मेले को लेकर लोगों में अपार उत्साह है लेकिन कोरोना महामारी के प्रकोप के चलते सरकार और स्थानीय प्रशासन के नियमों के मद्देनजर मेल के आयोजन के बारे में चर्चाओं का दौर भी जोरों पर है। रंवाई घाटी के इस धार्मिक आयोजन में यहां की सांस्कृतिक विरासत के दर्शन भी होते हैं।

रवांई क्षेत्र की स्थानीय मान्यता के अनुसार देवराणा जातर महाराज रूद्रेश्वर की अपनी विरासत है। डांडा देवराणा के इस ऐतिहसिक मेले में दूर दरार क्षेत्रों से हजारों की संख्या में श्रद्धालु महाराज रूद्रेश्वर के दर्शन करने पहुंचते हैं। इस मेले की सबसे खास बात यह है कि देेवदार के घने जंगल के बीच स्थित इस मंदिर में धार्मिक आस्था का यह संगम प्रकृति के रंग में रंगा दिखाई देता है। श्रद्धालुओं की पूजा अर्चना और ढोल दमाऊ की धुन से पूरा माहौल गुंजायमान हो उठता है। श्रद्धालु देवता के पासवा द्वारा महाराज के दर्शन करतें हैं और मन्नतें मांगते हैं। इस बार कोरोना महामारी से बचाव को लेकर धार्मिक स्थलों पर होने वाली पूजा अर्चना को लेकर सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन श्रद्धालुओं के बीच चर्चा का विषय तो बनी हुई है लेकिन संस्कृति और आस्था के इस संगम को लेकर तैयारियों और उत्साह में कोई कमी नजर आती नहीं दिखाई दे रही है।

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