उत्तराखंड

उत्तराखंड : वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में बनी नई पहचान

गौरी शंकर कांडपाल

देवभूमि उत्तराखण्ड में सदियों से पर्यटकों के लिए स्वर्ग की अनुभूति कराता रहा है। जहां एक और प्राकृतिक परिवेश उत्तराखण्ड को एक अलग पहचान प्रदान करता है वही यहां बर्फ की चादर ओढ़े हिमालय, कल-कल छल-छल करती नदिया सभी प्रकृति प्रेमियों के साथ पर्यटकों को भी अपनी ओर आकर्षित करती रही है इसी का परिणाम है कि प्रतिवर्ष लाखों पर्यटक यहाँ घूमने के उद्देश्य से आते हैं बल्कि वे यहां की मीठी यादें भी अपने साथ संजो कर ले जाते हैं।

हाल ही में औली में आयोजित गुप्ता बंधुओं के बेटों की शादी समारोह ने न केवल उत्तराखण्ड को एक नए श्वेडिंग डेस्टिनेशनश् के रूप में पहचान दिलाने का काम किया है बल्कि इसे और अधिक ऊंचाइयां भी प्रदान की है। इससे पहले पर्यटक यहां घूमने एवं धार्मिक अनुष्ठान के लिए आया करते थे। अब उत्तराखण्ड की एक नई पहचान वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में भी होने लगी है। हालांकि यह भी प्रारंभिक दौर में है किंतु, यदि सरकार इस सिलसिले में पहल करे तो इस रूप में उत्तराखण्ड की एक नई पहचान बन सकती है। इस बार जो शुरुआत औली, चमोली से हुई है वह राज्य के विभिन्न हिस्सों को वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में पहचान बनाने में मददगार साबित होगी।

बॉलीवुड में बनी फिल्मों केदारनाथ तथा बत्ती गुल मीटर चालू में लिए गए उत्तराखण्ड के संदर्भ एवं पटकथा ने जहां हमारी पारंपरिक थात को देश-विदेश में पहचान दिलाई है वहीं फिल्मी सितारों के आगमन ने संभावनाओं के नए द्वार खोल दिए हैं। फिल्म निर्माता अब अधिक से अधिक इस ओर रुख करेंगे, ऐसा निश्चित है। इस तरह के आयोजनों से न केवल राज्य सरकार को अतिरिक्त राजस्व की प्राप्ति होगी बल्कि स्थानीय रोजगार को बढ़ावा मिलने के साथ ही साथ उत्तराखण्ड के पहाड़ी व्यंजन तथा उत्तराखण्ड के सांस्कृतिक विरासत की धूम भी पूरे देश के विभिन्न हिस्सों में मचने लगेगी।

उत्तराखंड के पक्ष में यह सकारात्मक बात है कि, देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उत्तराखण्ड में पर्यटन विशेषकर धार्मिक स्थलों में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए उत्सुक हैं, जैसा कि उनकी 19 मई की केदारनाथ यात्रा से भी देखा जा सकता है। यह बात तय है कि उत्तराखण्ड को पर्यटन के क्षेत्र में बढ़ावा देने के लिए वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में एक नई पहचान दिलाई जाए तो यह स्थानीय रोजगार, सरकार के राजस्व प्राप्ति के क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित होगा ।

लेखक सामाजिक कार्यकर्ता एवं संस्कृतिकर्मी हैं। लेख में उनके निजी विचार हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button