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जीएसटी से परिवहन क्षेत्र होगा लाभान्वित, प्रदूषण भी होगा कम : गडकरी

पीआईबी/नई दिल्ली। परिवहन क्षेत्र को हाल ही में प्रारम्भ किए गए जीएसटी से कई प्रकार से लाभ होगा। जीएसटी से पहले, जटिल कर संरचना और कागजी कार्रवाइयों ने परिवहन उद्योग को कर अनुपालन और अंतर-राज्यीय बिक्री कर जमा कराने के लिए काफी सारे संसाधन खर्च करने पड़ते थे। अंतर-राज्यीय चैक पोस्ट पर निगरानी और बिक्री कर वसूली के कारण यातायात जाम होने की समस्या बहुत ज्यादा होती थी। इसके परिणामस्वरूप माल ढुलाई और यात्रियों की आवाजाही की गति धीमी हो जाती थी, जिसकी वजह से लागत और प्रदूषण दोनों में वृद्धि होती थी। आंकड़ों के अनुसार एक औसत भारतीय ट्रक साल में मात्र लगभग 50,000 से 60,000 किलोमीटर तक का फासला तय करता है जबकि अमरीका में एक ट्रक तीन लाख किलोमीटर की दूरी कवर करता है।

एकीकृत कर व्यवस्था के कारण अंतर-राज्यीय चैक पोस्ट की जरूरत खत्म हो गई है। इसके परिणामस्वरूप लंबे ट्रकों और अन्य माल वाहक वाहनों की आवाजाही पर लगने वाले समय में काफी कमी आयेगी। 50,000 रूपये से ज्यादा मूल्य की वस्तुओं की आवाजाही के लिए ऑनलाइन पंजीकरण की आवश्यकता वाले प्रस्तावित ई-वे बिल सहित माल ढुलाई में सुगमता आएगी तथा पूरी प्रक्रिया ज्यादा पारदर्शी बनेगी। माल ढुलाई के प्रभावी आवागमन से अधिक टन भार वाले ट्रकों की मांग बढ़ेगी, जिससे माल ढुलाई की लागत में कमी आएगी। एकल जीएसटी से गोदामों की संरचना में भी सुधार आएगा। इससे पहले कराधान के अलग-अलग स्तरों के कारण कंपनियों को हर एक राज्य में अपना गोदाम बनाना पड़ता था। जीएसटी के साथ ही हर राज्य में गोदाम बनाने की जरूरत समाप्त हो गई है।

सड़क परिवहन और राजमार्ग तथा शिपिंग मंत्री नितिन गडकरी के अनुसार भारत के लॉजिस्टिक क्षेत्र को जीएसटी से सबसे ज्यादा लाभ होगा, क्योंकि इसकी लागत में लगभग 20 प्रतिशत कमी आएगी। उन्होंने कहा कि देश के विभिन्न स्थानों पर लॉजिस्टिक पार्क बनाए जा रहे हैं। इनसे ना सिर्फ माल ढुलाई की आवाजाही की लागत में कमी आएगी बल्कि रोजगार के बहुत से अवसरों का सृजन होगा तथा प्रदूषण के स्तर में कमी आएगी।

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