संस्कृति एवं संभ्यता

जौनसार-बावर : संस्कृति को संरक्षित कर रहे लोक पंचायत कार्यकर्ता

देहरादून। जौनसार-बावर क्षेत्र की संस्कृति और पंरपराओं को जीवित रखने के लिए स्थानीय लोगों ने एक लोक पंचायत समूह बनाया है। लोक पंचायत कार्यकर्ताओं ने यमुना और टोंस सहित क्षेत्र के प्राकृतिक जल श्रोतों के संरक्षण का भी बीड़ा उठाया है। लोक पंचायत समूह की खास बात यह है कि समूह में पदाधिकारी बनाये जाने की जगह समूह में सभी को एक समान अहमियत दी गई है। समूह का हर कार्यकर्ता प्रेरक के रूप में पहचाना जाता है।

लोक पंचायत के प्रेरक श्रीचंद शर्मा बताते हैं कि देश के इतिहास में जौनसार-बावर क्षेत्र की अहमियत को बयां करने वाले सैकड़ों की संख्या में सबूत आज भी विद्यमान हैं। वह बताते हैं कि क्षेत्र में स्थित कालसी एक ऐसा ही महत्वपूर्ण स्थान रहा है। रामायण काल में यह क्षेत्र यमुना देश के नाम विख्यात था, कालसी के निकट  स्थित हरिपुर भी हरिद्वार की भांति एक विख्यात धर्मिक नगर था। हरिपुर में नदियों का दुर्लभ महासंगम बनता है। इसी कारण यह स्थान अश्वमेघ स्थली भी रहा है। अनेक अश्वमेघ यज्ञों के प्रमाण आज भी यहां मौजूद हैं। श्री चंद बताते हैं कि आज हरिपुर के हालात बाढ़ की त्रासदी और सरकार की अनदेखी के चलते दयनीय हो गए हैं। लोक पंचायत संगम पर साफ-सफाई और घाटों का निर्माण के लिए प्रयासरत है।  

लोक पंचायत के कार्यकर्ताओं ने बैसाखी के अवसर पर हरिपुर में यमुना पुल के नजदीक एक महायज्ञ का आयोजन कर लोगों को यमुना व अन्य नदियों के संरक्षण के लिए जागरूक किया। इस अवसर पर केएस चौहान, भारत चौहान, महावीर सिंह नेगी, शूरवीर सिंह तोमर, मायादत्त जोशी, बसंत शर्मा आदि मौजूद रहे।

खुद के संसाधनों पर भरोसा :
लोक पंचायत कार्यकर्ताओं का कहना है कि करीब एक साल से जनसरोकारों से जुड़े कार्यों में खुद के संसाधनों का ही इस्तेमाल किया जा रहा है जो आगे भी जारी रहेगा। हांलाकि उनका यह भी कहना है कि सरकार को जौनसार-बाबर क्षेत्र के विकास और अवरुद्ध कार्यों को पूरा करने के लिए भी सरकारों को भी जगाया जाएगा। साथ ही विशेष मौकों पर क्षेत्र के प्रवासी और सरकार में कार्यरत अफसरों को आमंत्रित कर जनता की समस्याओं से भी अवगत कराया जाएगा।  

Key Words : Uttarakhand, Dehradun, Public Panchayat, Jaunsar-Babar culture

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