सामाजिक सरोकार

पर्यावरणीय चक्र के लिए खनन जरूरी : कौशल

देहरादून। उत्तराखण्ड में हाई कोर्ट द्वारा चार माह के लिए नदियों से खनन पर रोक लगाए जाने के आदेश पर अपनी टिप्पणी देते हुए रूलक संस्था के अध्यक्ष अवधेश कौशल ने कहा है कि कोर्ट का यह आदेश पर्यावरणीय चक्र के हित नहीं है। उन्होंने कहा है कि यदि नदियों से चुगान और खुदान नही होगा तो बाढ़ का खतरा बढ़ जाएगा। उत्तराखण्ड की पर्वत श्रंखलाओं की बनावट कमजोर है जिससे बारिश में पहाड़ों से बजरी, रेत, पत्थर बड़ी मात्रा में पानी के साथ बहकर नदी तल को ऊँचा कर देते है।

गंगा, यमुना तथा अन्य नदियों को भी ‘‘लिविंग पर्सन’’ की तरह रहने के उच्च न्यायालय के फैसले पर भी अपनी बात रखते हुए अवधेश कौशल ने कहा है कि यदि ये नदियां बाढ़ से किसी निर्दोष के का खेत, जानवर, अथवा संपत्ति को नुकसान पहुंचाती हैं तो क्या वही भी दण्डनीय होगा। यदि ऐसा होता है तो वह दण्ड राज्य सरकार को भुगतना पड़ेगा।

कौशल ने कहा है कि पर्यावरणीय कारणों के चलते उत्तराखण्ड में अब मिट्टी और लकड़ी के मकानों को बनाये जाने का प्रचलन तकरीबन खत्म हो चुका है। वहीं दूसरी ओर सत्ताधारी बीजेपी की सरकार ने सभी को पक्के मकान देने का वादा किया है। ऐसे हालातों में उत्तराखण्ड सरकार को सर्वोच्च न्यायालय में नदी चुगान खोलने के लिए विशेष अनुमति याचिका दायर करनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा है कि कोर्ट के आदेश के अनुसार खनन पर चार महीने की रोक के बाद भी खनन नहीं हो सकता क्योंकि बारिश के महीनों में भी यह काम बंद रहता है जिससे राज्यवासियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

Key words : Uttarakhand, Dehradun, high Court, Mining, environment

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