उत्तराखंड

ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन के तहत करें ग्राम पंचायतों की आय में बढ़ोत्तरी : सेमवाल

देहरादून। पंचायतीराज विभाग के तत्वावधान में कार्य निष्पादन अनुदान के तहत चयनित ग्राम पंचायतों में ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन के कार्यो को प्राथमिकता के आधार पर किया जाना है। यह बात पंचायतीराज विभाग के निदेशक सीएच सेमवाल ने देहरादून में डीपीआर निर्माण पर शुरू हुई दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के शुभारंभ अवसर पर कही। उन्होंने बताया कि उत्तराखण्ड देश का पहला राज्य है जहां ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन की लिए नीति प्रख्यापित की गयी है। उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायतों को ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन की दिशा में कार्य करते हुये ग्राम पंचायतों की आय में भी वृद्धि करनी है। ताकि उन पंचायतों का चयन कार्य निष्पादन अनुदान के तहत आ सकें।

दून के सर्वेचौक स्थित आईआरडीटी सभागार में डीपीआर निर्माण प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए पंचायतीराज विभाग निदेशक सीएच सेमवाल ने ने कहा कि उत्तराखण्ड सरकार द्वारा पंचायतों में ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन नीति का क्रियान्वयन पंचायतीराज विभाग चरणबद्ध रूप से कार्य कर रही है। पंचायत प्रतिनिधियों, कार्मिकों का क्षमता विकास किया गया है। नीति के अनुसार ग्राम पंचायतों में डीपीआर निर्माण किया जाना है जिस कार्य में जनप्रतिनिधियों एवं कार्मिकों की महत्वपूर्ण भूमिका है।

संयुक्त निदेशक डीपी देवराड़ी ने कहा कि कार्यक्रम के माध्यम से 24 हजार से अधिक जनप्रतिनिधियों एवं कार्मिकों का क्षमता विकास किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि देहरादून जनपद के भोगपुर कलस्टर स्तर पर ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन इकाई की स्थापना की गयी है। जहां पर कूडे का निपटान एवं पृथकीकरण किया जायेगा।

सहायक निदेशक मनोज कुमार तिवारी ने बताया कि ग्राम विकास योजना में ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन, महिला स्वरोजगार के कार्यो को शामिल किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि पंचायतीराज निदेशालय द्वारा ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन की सूचनाओं के संकलन के लिए एमआईएस विकसित किया जा रहा है साथ ही रेखीय विभागों के साथ समन्वय स्थापित करते हुये डीपीआर का निर्माण करना, मनरेगा की कार्ययोजना में डीपीआर के कार्यो को प्रख्यापित करना, मनेरगा, 14वे वित्त आयोग के बेसिक ग्रान्ट एवं स्वजल आदि के अभिसरण के माध्यम से ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन के कार्यो को क्रियान्वित किया जाना है।

प्रशिक्षण के दौरान विषय विषेशज्ञ स्वागत पटनायक ने अपशिष्ट प्रबन्धन की डीपीआर निर्माण पर विस्तृत जानकारी देते हुये कहा कि डीपीआर में वर्तमान में ग्राम पंचायत की स्थिति, कूडा प्रबन्धन की वर्तमान स्थिति, रणनीति, कूडा प्रबन्धन में विभिन्न क्रिया कलाप का विस्तृत विवरण दिया जाना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि डीपीआर में वार्षिक कार्ययोजना के साथ बजट की विवरण कार्ययोजना में दी जानी महत्वपूर्ण है।

वित्त कंटोलर प्रमिला पैन्यूली ने कहा कि ग्राम पंचायतों को अपनी आय विकसित करनी होगी। उन्हांने बताया कि राज्य को केन्द्र से मिलनी वाली निष्पादन ग्रान्ट के माध्यम से ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन की गतिविधियां आयोजित की जानी है।

विभाग के वरिष्ठ प्रशिक्षक प्रकाश रतूडी ने बताया कि ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन के लिए डीपीआर का निर्माण सहभागिता के आधार पर तैयार किए जाना बेहद अहम् है। इसके लिए पहले गांव स्तर पर वातावरण का निर्माण, संसाधनों का आंकलन और वहां की समस्याओं को चिन्हित किया जाना जरूरी है।

इस मौके पर जिला पंचायतीराज अधिकारी देहरादून जफरखान, आशाराम कुमेडी, लेखाधिकारी पंचायतीराज एवं राज्य के समस्त विकास खण्डों के सहायक विकास अधिकारी पंचायत, ग्राम पंचायत विकास अधिकारी, एवं कार्य निष्पादन अनुदान के तहत चयनित ग्राम प्रधानों सहित 300 प्रतिभागियों द्वारा प्रतिभाग किया गया।

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