उत्तराखंड

मानवीय दखल है आपदाओं में बढ़ोत्तरी की जिम्मेदार

  • पंकज भार्गव

विकास के नाम पर प्राकृतिक संसाधनों के गैरजिम्मेदाराना व अंधाधुंध दोहन के चलते प्रकृति के मूल स्वरूप में भी बड़ी तेजी से बदलाव आता जा रहा है। बाढ़, बादल फटना, भूस्खलन, वनाग्नि से हो रहे जानमाल के नुकसान के लिए हम प्राकृतिक कारणों पर दोषारोपण करने से बाज नहीं आ रहे हैं। यह बात सच है कि देश के हिमालयी राज्यों का आपदाओं से बहुत पुराना नाता रहा है लेकिन तब जानमाल के नुकसान के लिए प्राकृतिक तौर पर आने वाली आपदाओं का बाहुल्य था लेकिन आज के परिपेक्ष में बात की जाए तो प्रकृति के साथ मानवीय दखल के चलते होने वाली आपदाओं की संख्या में कहीं अधिक इजाफा हुआ है।

यह बात सच है कि प्राकृतिक आपदाओं को रोका नहीं जा सकता लेकिन जागरूक होकर आपदा के बाद होने वाले जानमाल के नुकसान को कम जरूर किया जा सकता है। वहीं मानव जनित आपदाओं को रोकने के लिए और भी अधिक सजग होने की जरूरत है। इस दिशा में हमारी सरकार की ओर से किए जा रहे आपदा प्रबन्धन के प्रयासों में और अधिक तेजी लाने के साथ जन भागीदारी और ठोस रणनीति के माध्यम से इस विपत्ति के खौफ को कम किया जा सकता है।

आपदा से बचाव और राहत के लिए सरकार की ओर से आपदा प्रबन्धन व्यवस्थाओं के लिए जागरूकता के प्रचार प्रसार की जिम्मेदारी केंद्र, राज्य व जिला स्तर पर निर्धारित की गई है। अधिकतर राज्यों में राहत आयुक्त हैं जो अपने राज्यों में प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में राहत एवं पुनर्वास कार्यों के प्रभारी हैं तथा पूर्ण प्रभारी मुख्य सचिव होता है तथा राहत आयुक्त उसके निर्देश एवं नियन्त्रण में कार्य करते हैं। आपदा के समय प्रभावित लोगों तक पहुँचने के प्रयासों में सम्मिलित करने के लिये राज्य सरकार, गैर सरकारी संगठनों तथा अन्य राष्ट्रीय तथा अन्तरराष्ट्रीय संगठनों को आमन्त्रित करती है। जिला स्तर पर अग्रिम आपात योजना बनाने और निगरानी का दायित्व जिला मजिस्ट्रेट को सौंपा गया है।

आपदा के समय और बाद में बचाव राहत के कार्यों के लिए प्रशिक्षित लोगों की भूमिका बेहद अहम् होती है। केंद्र व राज्य स्तर पर इस दिशा में त्वरित कार्यवाही के लिए टीमों का गठन किया गया है।

एनडीआरएफ:

नेशनल डिजास्टर रिस्पौंस फोर्स ;एनडीआरएफद्ध का गठन केंद्र सरकार द्वारा 2006 में किया। आपदा से निपटने के लिए अर्द्धसैनिक बल व पुलिस के प्रशिक्षित जवानों की यह टीम हर समय तैयार रहती है। मिनस्ट्री आफ होम अफेयर्स के निर्देशों के तहत एनडीआरएफ रक्षा और बचाव के कार्यों को अंजाम देती हैं।

एसडीआरएफ:

स्टेट डिजास्टर रिस्पौंस फोर्स (एसडीआरएफ) रेस्क्यू टीम है, जिसमें ट्रेंड पुलिस, एक्स आर्मी और होमगार्ड के जवान शामिल होते हैं, जो बचाव कार्य के आधुनिक उपकरणों से लैस होते हैं। ये टीम किसी भी आपदा के समय मौके पर पहुंचकर तत्काल राहत कार्य शुरू करते हैं। इममें मेडिकल टीम और अग्निशमन टीम भी शमिल होती है।

जिला स्तर पर आपदा प्रबन्धन:

राज्यों के जिलों में आपदा राहत कार्यों के संचालन का कार्य जिला आपदा प्रबन्धन प्रकोष्ठ की निगरानी में संचालित किया जाता है। किसी भी आपदा से पूर्व और बाद में राहत कार्यों के लिए स्वयं सेवियों व सामाजिक संस्थाओं के सहयोग से शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में आपदा से बचाव के लिए जागरूकता कार्यक्रमों का निरंतर संचालन जिलाधिकारी की निगरानी में किया जाता है।

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