उत्तराखंड

किस काम की ये सरकार ! नगांणगांव रवाडा पुल खोल रहा पोल, 2013 की आपदा से भी नहीं ली सीख

कुलदीप शाह /बड़कोट। उत्तराखंड में इन दिनों हो रही मूसलाधार बारिश के चलते पहाड़ों में जनजीवन अस्तव्यस्त हो गया है। हैरत की बात है कि हर साल आपदा से बचाव और राहत कार्यों की पूरी तैयारी का राग अलापने वाला सूबे का आपदा नियंत्रण विभाग 2013 में पूरे प्रदेश में आई भीषण आपदा से कोई सीख नहीं ले सका है। ग्रामीण अपने दम पर अकेले ही इस बार भी आपदा से मुकाबला करते नजर आ रहे हैं। इस लड़ाई में हर साल उन्हें जानमान का भारी खामियाजा भुगतना पड़ता है।

सूबे में आपदा राहत कार्यों को लेकर लापरवाही के आलम की पोल खोलने के लिए बात करते हैं उत्तरकाशी जिले के बड़कोट क्षेत्र स्थित नगांणगांव रवाडा मोटर पुल की जो 2013 की आपदा की भेंट चढ़ गया था। तब से लेकर आज तक पुल के पुनर्निर्माण या मरम्मत को लेकर जिम्मेदार विभाग ने कोई भी कार्यवाही नहीं की है, जिससे नगाण गाँव , थान, मसाल गाँव, गोल, फूलदार, स्यालाव, सुकण, कुर्सील आदि गांवों के ग्रामीणों का आवागमन पूरी तरह से ठप है।

ग्रामीणों ने खुद ही पुल को जुगाड़ लगाकर आवाजाही लायक बनाया हुआ था, लेकिन बरसात के आते ही यमुना का उफान ग्रामीणों पुल के उस अस्थाई हिस्से को अपने साथ बहाकर ले गया। अब क्षेत्र के ग्रामीणों के आगे आवाजाही का संकट खड़ा हो गया है। स्कूल जाने वाले बच्चों के साथ ही बुजुर्गों को अस्पताल ले जाने एवं दैनिक वस्तुओं की आपूर्ति की समस्या सबसे विकट है।

दरअसल, धारामण्डल क्षेत्र को जोड़ने वाले नगांणगांव रवाडा मोटर पुल को 2013 में आपदा के समय यमुना का आवेग अपने साथ बहा ले गया था। ग्रामीणों का आरोप है कि पुल के पुनर्निर्माण को लेकर करीब 5 साल के बाद भी शासन-प्रशासन की ओर से कोई कार्यवाही नहीं की गई है। बरसात के मौसम में बड़कोट आने-जाने के लिए ग्रामीणों को दस से बारह किमी पैदल चढ़ना पड़ता है जिससे सरकार और विभाग के खिलाफ ग्रामीणों में गुस्सा है। ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि उनके चुने गए जनप्रतिनिधि और सरकार किसी काम के नहीं है।

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