उत्तराखंड

पौड़ी के जंगलों में लगी आग पर सीएम ने नोडल अधिकारी और डीएफओ को फटकारा – ….अब जिलाधिकारियों की होगी जवाबदेही

देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने वनाग्नि की घटनाओं की रोकथाम के लिये सभी जिलाधिकारियों को प्रभावी कदम उठाने के निर्देश दिये हैं। मुख्यमंत्री ने बुधवार को सचिवालय में वन विभाग के अधिकारियों तथा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े सभी जिलाधिकारियों के साथ वनाग्नि की घटनाओं की समीक्षा की।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने वन विभाग के अधिकारियों को आडे़ हाथों लेते हुए उनसे पूछा कि उन्होंने क्या तैयारी की थी ? अगर तैयारी पूरी थी तो परिणाम क्यों नहीं मिला ? मुख्यमंत्री ने वन विभाग के नोडल अधिकारी वीपी गुप्ता और डीएफओ पौड़ी को फटकार लगाते हुए कार्यप्रणाली में सुधार लाने के निर्देश दिए। उन्होंने सभी जिलाधिकारियों को भी हिदायत दी कि अपने जनपदों में वनाग्नि की घटनाओं की जवाबदेही उन्हीं की होगी। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि प्रभागीय वनाधिकारी की परफॉर्मेंस एप्रेजल रिर्पोट में वनाग्नि की रोकथाम के प्रयासों तथा उनके परिणामों को भी दर्ज किया जाय। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिलाधिकारियों और वन विभाग, स्थानीय समुदायों को अपने साथ जोड़ें। स्थानीय लोगों की मदद के साथ, वनों की प्रभावी सुरक्षा की जा सकती है।

बैठक में अपर मुख्य सचिव डॉ.रणवीर सिंह, प्रमुख सचिव राधा रतूड़ी, सचिव अमित नेगी, राधिका झा, अरविन्द सिंह ह्यांकी, अपर सचिव आशीष श्रीवास्तव एवं वन विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।

वनाग्नि रोकथाम के लिए पूरा बजट जारी न होने पर मुख्यमंत्री नाराज :

देहरादून। मुख्यमंत्री ने वनाग्नि की रोकथाम के लिये कुल प्रावधानित बजट 12 करोड़ 37 लाख का 50 फीसदी ही जारी किये जाने पर भी सख्त नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने वन विभाग को फटकार लगाते हुए कहा कि, ‘‘आग अभी लगी है, आप पैसा कब के लिये बचा रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि सभी जिलाधिकारी आपदा प्रबंधन तंत्र तथा आपदा प्रबंधन मद में उपलब्ध धनराशि का भी समुचित प्रयोग करें। सभी जनपदों में आपाद प्रबंधन मद में 5-5 करोड़ की धनराशि दी गई है जिसकी 10 प्रतिशत राशि से उपकरण क्रय किये जा सकते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि वनों की आग सिर्फ वन विभाग की समस्या नही है।

इस साल वनाग्नि के 776 मामले दर्ज :

वनाग्नि की घटनाओं में सम्बन्धित नोडल अधिकारी ने बताया कि अभी तक कुल 776 घटनाएं दर्ज हुई है, जिनमें 1271 हेक्टेयर क्षेत्रफल प्रभावित हुआ है। 40 मास्टर कंट्रोल रूम स्थापित किये गये है।

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