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किसानों को ‘ऐप’ बतायेगा उर्वरकों की मात्रा का सही उपयोग

देहरादून/रुड़की। आईआईटी रुड़की के इंजीनियरिंग के छात्रों ने अब एक ऐसा ऐप बनाया है, जो फसलों में उर्वरकों की सही मात्रा के उपयोग की जानकारी देकर सटीक ढंग से खेती करने में किसानों की मदद कर सकता है। हाइपरस्पे क्ट्ररल इमेजिंग तकनीक पर आधारित यह ऐप पत्तियों की इमेज प्रोसेसिंग करके फसलों में पोषक तत्वोंय की कमी और उनकी सेहत का पता लगा लेता है। इस तरह फसल में उर्वरकों के सही उपयोग की जानकारी मिल जाती है। आमतौर पर किसान उर्वरकों का उपयोग अपने अनुभव के आधार पर करते हैं। उर्वरकों के कम या ज्यागदा उपयोग से किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है और मिट्टी एवं पर्यावरण की सेहत को भी नुकसान पहुंचता है। ‘स्नैहप’ नामक यह ऐप फसल में जरूरी उर्वरकों की उपयुक्तऐ मात्रा का निर्धारण करने के लिए पत्तियों की हाइपरस्पेतक्ट्रफल इमेजिंग के सिद्धांत पर काम करता है। इस तकनीक की मदद से पत्तियों से परावर्तित होने वाले प्रकाश के अध्यायन के आधार पौधे में रासायनिक तत्वों की मौजूदगी का पता लगाया जा सकता है।

इस तकनीक को विकसित करने के लिए आईआईटीरुड़की के छात्रों को एरिक्सान इनोवेशन अवार्ड-2017 से नवाजा गया है। ‘फ्यूचर फॉर फूड’ थीम के अंतर्गत सूचना एवं तकनीक पर केंद्रित नवोन्मेरशी आइडिया विकसित करने के लिए 75 देशों की 900 टीमें इस अवॉर्ड की दौड़ में शामिल थीं। आईआईटी-रुड़की के निदेशक प्रोफेसर अजीत कुमार चतुर्वेदी के अनुसार ‘किसानों को फसलों की सेहत की सही स्थिति के बारे में पता हो तो वे उर्वरकों की उचित मात्रा के उपयोग का निर्णय आसानी से ले सकेंगे। इस ऐप की मदद से किसानों को महज एक तस्वीर से पता लग सकता है कि उनकी फसल को उर्वरक की जरूरत है या फिर नहीं।

हाइपरस्पेक्ट्रदल इमेजिंग में पौधे के भौतिक, रासायनिक एवं जैविक गुणों का पता लगाने और वर्णक्रमीय एवं स्थानिक जानकारी एक साथ प्राप्त करने के उद्देश्यम से पारंपरिक स्पेक्ट्रोस्कोपी को इमेजिंग तकनीक से जोड़ा गया है। जब सूरज की रोशनी किसी पत्ती पर पड़ती है तो परावर्तित प्रकाश एवं इन्फ्रा रेड किरणों में मौजूद विशिष्ट संकेतों के जरिये पौधे के रासायनिक घटकों के बारे में पता चल जाता है। हाइपरस्पेक्ट्रपल इमेजिंग के जरिये पौधे में जल की मात्रा के साथ-साथ नाइट्रोजन, फॉस्फो रस, पोटैशियम, मैग्निंशियम, कैल्शियम, सल्फर, सोडियम, आयरन, मैग्नीज, बोरोन, कॉपर और जिंक जैसे पोषक तत्वों के बारे में जानकारी मिल सकती है। प्रोफेसर चतुर्वेदी के अनुसार ‘यह ऐप इमेजिंग डिवाइस के रूप में मोबाइल फोन कैमरा का उपयोग करता है और किसान इसका उपयोग खेतों में आसानी से कर सकते हैं।

Key Words : Uttarakhand, Rooraki, App, agriculture information

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